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श्री रामचरितमानस सुंदरकांड

श्री रामचरितमानस सुंदरकांड

श्री रामचरितमानस, संत तुलसीदास द्वारा रचित हिन्दी काव्य ग्रंथ है जो भगवान राम की कथा पर आधारित है। यह ग्रंथ मुख्यतः दोहे, चौपाइयाँ और षट्क के रूप में लिखा गया है और सांस्कृतिक एवं धार्मिक महत्व का धारण करता है।

रामचरितमानस का काव्य सौंदर्य और भक्ति भाव से भरा हुआ है जिससे यह हिन्दी साहित्य का एक अद्वितीय कोष है। इसमें भगवान राम की जीवनी, राम-लक्ष्मण संवाद, सीता-हनुमान सम्वाद, और रावण वध का वर्णन है।

रामचरितमानस के माध्यम से तुलसीदास ने धर्म, नैतिकता, और भक्ति के महत्वपूर्ण सिद्धांतों को सार्थक रूप से समझाया है। यह ग्रंथ भारतीय समाज में राम भक्ति का एक महत्वपूर्ण स्रोत बन गया है और आज भी लोग इसे श्रद्धा भाव से पढ़ते हैं तथा उसके उदाहरणों से जीवन में मार्गदर्शन करते हैं।

सुंदरकाण्ड, श्री रामचरितमानस का एक महत्वपूर्ण भाग है। सुंदरकाण्ड भगवान हनुमान के महाकाव्य भूमिका में विशेष महत्वपूर्ण है।

सुंदरकाण्ड में हनुमान जी लंका की खोज में भगवान राम की पत्नी सीता के पास पहुंचते हैं। यहां, हनुमान जी अपनी महाप्रक्रिया दिखाते हैं, उनकी भक्ति और वीरता की भावना सुंदरकाण्ड में उत्कृष्ट रूप से प्रकट होती है। हनुमान जी अशोकवटिका में भगवान राम के सन्देश को सीता तक पहुंचाने के लिए लंका को दहन करते हैं।

इस भाग में तुलसीदास ने भक्ति, समर्पण, और साहस के सुंदर उदाहरण प्रस्तुत किए हैं जो श्रद्धालुओं को भगवान की भक्ति में प्रेरित करते हैं। सुंदरकाण्ड में हनुमान जी की अनगिनत गुणगाथाएँ हैं जो उन्हें महाकाव्य के अमूर्त पात्र बनाती हैं और भक्तों को उनके नायकीय गुणों का अनुसरण करने के लिए प्रेरित करती हैं।

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श्री रामचरितमानस सुंदरकांड

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जय श्री राम

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