Mahatma Gandhi – गाँधी से राष्ट्र पिता महात्मा गाँधी बनाने की journey

Mahatma Gandhi – गाँधी से राष्ट्र पिता महात्मा गाँधी बनाने की journey

महात्मा गांधी, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अग्रदूत और अहिंसात्मक सिद्धांतों के प्रणेता, भारतीय इतिहास में एक अद्वितीय व्यक्तित्व थे। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर, गुजरात में हुआ था। उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है। महात्मा गांधी को बापू, राष्ट्रपिता और गांधीजी के नामों से भी जाना जाता है। उन्होंने अपने जीवन में अनगिनत संघर्षों का सामना किया और अपने आदर्शों के प्रकार से विश्व को एक नया दृष्टिकोण प्रदान किया।

Mahatma Gandhi - गाँधी से राष्ट्र पिता महात्मा गाँधी बनाने की journey
राष्ट्र पिता महात्मा गांघी

गाँधी जी की शिक्षा

गांधीजी का शिक्षा से लेकर उनकी शैली ने दुनिया को प्रभावित किया। उन्होंने पहले पोरबंदर के पॉरबंदर हाइ स्कूल से अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की, और इसके बाद इंग्लैंड में केम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की। वहां, उन्होंने अध्ययन के दौरान समाज से जुड़े आधुनिक विचार प्राप्त किए, जिन्होंने उनके बाद में सत्याग्रह और अहिंसा की अद्वितीय सिद्धांतों का निर्माण किया।

गाँधी जी का योगदान

महात्मा गांधी का सर्वप्रथम योगदान सत्याग्रह की शैली में दिखा गया, जो असहिष्णुता और अधिकारों के लिए आम जनता के साथ एकजुट होकर संघर्ष करने का एक नया तरीका था। उन्होंने एक नया दृष्टिकोण दिखाया और यहां तक कहा कि “असहिष्णुता का मार्ग एकलता की ओर जाता है”।

Mahatma Gandhi - गाँधी से राष्ट्र पिता महात्मा गाँधी बनाने की journey

महात्मा गांधी ने सत्याग्रह का पहला प्रयोग 1893 में दक्षिण अफ्रीका के इंडियन आपातकाल में किया था, जब उन्होंने अपार्थेड नीति के खिलाफ विरोध किया और भारतीयों के अधिकारों के लिए आवाज बुलंद की। उन्होंने यहां जातिवाद और असहिष्णुता के खिलाफ अपना पहला सत्याग्रह किया, जिसने दुनिया को दिखाया कि अहिंसा और सत्य की शक्ति कितनी महत्वपूर्ण है।

गांधीजी का आदर्श था सर्वोदय, जिसमें वह समाज के सभी वर्गों के लोगों की भलाइयों के लिए समर्पित थे। उन्होंने अपनी शिक्षा को पूरा करने के बाद वकालत का कार्य छोड़ दिया और दुनिया के लोगों की सेवा में जुट गए।

सत्याग्रह के प्रयोग के बाद, गांधीजी ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1915 में वे भारत लौटे और उनका एकल संघर्ष वहां से शुरू हुआ। वह नेतृत्व में हिंदू और मुस्लिम समुदाय को एक साथ लाने के लिए काम करते रहे और उन्होंने खुद को सबका नेता बताया।

गांधीजी की महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक उनका योगदान खिलजीव के स्वच्छता अभियान के लिए था। उन्होंने सत्याग्रह और अहिंसा के माध्यम से लोगों को स्वच्छता के महत्व को समझाया और उन्होंने अपने स्वयं के उदाहरण के रूप में खिलजीव अभियान को समर्थन किया।

गांधीजी ने विश्व शांति और अखंडता के लिए भी कई प्रयास किए। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में भी रास्ते पर चलने के बाद वहां के भारतीय समुदाय के लिए समानता की मांग की और उन्होंने अपार्थेड के खिलाफ सत्याग्रह किया।

सत्याग्रह, अहिंसा और सर्वोदय के आदर्शों के बावजूद, गांधीजी का स्वतंत्रता संग्राम में योगदान सबसे महत्वपूर्ण था। उन्होंने भारतीय जनता को एकजुट करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और अंग्रेज साम्राज्य के खिलाफ अपनी अद्वितीय सत्याग्रह स्ट्रेटेजी के माध्यम से भारत को स्वतंत्रता दिलाने का कारगर तरीका बनाया।

गांधीजी की सत्याग्रह और अहिंसा की शैली ने अंग्रेजों को उनके सिद्धांतों की समझने में कठिनाई महसूस करवाई और उन्हें भारत से विपरीत रहने का निर्णय करने पर मजबूर किया। इसके परिणामस्वरूप, गांधीजी ने 1947 में भारत को स्वतंत्रता दिलाने में सफलता प्राप्त की।

गांधीजी की अहिंसात्मक सिद्धांतों ने दुनियाभर में समर्थन प्राप्त किया और उन्हें विश्वभर में “अहिंसा के महात्मा” कहा गया। उनकी आदर्शों और सिद्धांतों ने दुनिया को एक नए दृष्टिकोण की ओर प्रवृत्त किया और उनकी भूमिका आज भी सशक्त है।

महात्मा गांधी का उद्धारण है, “जीवन में एक सफल व्यक्ति वह है जो अपनी आशाएं और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ता है।” उनकी शिक्षाओं के प्रति आज भी समर्पित लाखों लोग हैं और उनकी आत्मविश्वासपूर्ण और अहिंसात्मक दृष्टिकोण को आगे बढ़ाते हैं। गांधीजी के योगदान ने भारत और दुनिया को एक नया दिशा प्रदान किया और उनकी महानता को सदैव याद किया जाएगा।